The parallel universe explained in Hindi – समानांतर ब्रह्माण्ड क्या है? #top10_facts_about_universe
- आईये देखे कुछ ब्रह्माण्ड के अद्भुत प्रश्न को हिंदी में ( Let’s Begin Extraordinary Questions Of Universe )
- अंतरिक्ष से पृथ्वी पर बनी कौन-कौन सी मानव-निर्मित चीजें दिखाई देती है?
- भारत के कौन प्रथम अंतरिक्ष यात्री थे?
- पैरेलल स्पेस की परिकल्पना को कैसे समझ सकते है। समानांतर ब्रह्माण्ड क्या है ?
- धरती घूमती है तो हमें पता क्यों नहीं चलता?
- चाँद धरती पर क्यों नही गिर जाता? या धरती सुर्य पर क्यु नहीं गिरती है ?
- क्या इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में अंतरिक्ष यात्री टीवी देखते हैं?
- अगर सूर्य अंतरिक्ष में है और उसकी ही वजह से पृथ्वी पर उजाला रहता है तो फिर अंतरिक्ष में अंधेरा क्यों रहता है?
- पृथ्वी पर सबसे ज्यादा पाई जाने वाली गैस कौनसी है?
- Conclusion
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नमस्कार दोस्तों, मैं Ainesh Kumar आप सब का मेरे इस पोस्ट पर स्वागत करता हूँ . दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम जानने वाले है #Top10 Facts About Universe. आप के मन में भी कभी_न_कभी कुछ प्रश्न आये होंगे जिसे मैं निचे लिख रहा हूँ की जैसे 1. parallel Universe क्या होता है ?
2.भारत के कौन प्रथम अंतरिक्ष यात्री थे?
3.अगर सूर्य अंतरिक्ष में है और उसकी ही वजह से पृथ्वी पर उजाला रहता है तो फिर अंतरिक्ष में अंधेरा क्यों रहता है? और
4.धरती घूमती है तो हमें पता क्यों नहीं चलता? इत्यादि . दोस्तों इसी तरह के और भी प्रशन को आज हम देखने वाले है इस आर्टिकल में तो मेरे साथ बने रहे अंत तक।
आईये देखे कुछ ब्रह्माण्ड के अद्भुत प्रश्न को हिंदी में ( Let’s Begin Extraordinary Questions Of Universe )
ब्रह्माण्ड सम्पूर्ण समय और अंतरिक्ष और उसकी अंतर्वस्तु को कहते हैं। ब्रह्माण्ड में सभी ग्रह, तारे, आकाशगंगाएँ के बीच के अंतरिक्ष की अंतर्वस्तु, अपरमाणविक कण, और सारा पदार्थ और सारी ऊर्जा शामिल है। इस लेख में हमने ब्रह्मांड की सामान्य अवधारणाओं पर आधारित 10 सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी दिया है। आशा करता हूँ की आप सब को मेरे इस आर्टिकल से कुछ सिखने को मिलेगा तो आईये अब आगे देखे।
1. अंतरिक्ष से पृथ्वी पर बनी कौन-कौन सी मानव-निर्मित चीजें दिखाई देती है?
- आईलैंड – दुबई में स्थित पाम द्वीप भी अंतरिक्ष से दिखाई देता है।
- हाईवे – थाईलैण्ड में, समुद्र के ऊपर बना दुनिया का सबसे बड़ा पुल ‘बैंग ना एक्सप्रेस-वे’यह भी को भी अंतरिक्ष से देख सकते हैं.
- ग्रेट वॉल ऑफ चाइना,चीन में बनी लगभग 6000 किमी लम्बी दीवार स्पेस से एकदम स्पष्ट दिखाई देती है।
- गीज़ा के पिरामिड्स,और
- डेज़र्ट रोड्स,रेगिस्तान में बनी हुई सड़कों को भी अंतरिक्ष से देखा जा सकता है। अंतरिक्ष से देखने पर ये सड़कें रेगिस्तान में काली रेखा की तरह दिखाई देती हैं।
2. .भारत के कौन प्रथम अंतरिक्ष यात्री थे?
In Simple, में मैं कहु तो भारत के प्रथम अंतरिक्ष यात्री squadern leader, एयर फोर्स श्री राकेश शर्मा थे।
राकेश शर्मा एक ऐसा नाम है, जिसे देश का बच्चा-बच्चा जानता है. हम सभी ने स्कूल में राकेश शर्मा के बारे में पढ़ा था कि वे भारत के सर्वप्रथम अंतरिक्ष यात्री थे. राकेश शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1949 को पंजाब के पटियाला में हुआ था. राकेश शर्मा बचपन से ही आसमान और विमानों के साथ जुड़े हुए थे. आसमान में उड़ने वाले विमानों को राकेश शर्मा तब तक निहारते थे, जब तक कि वह उनकी नजरों से दूर न हो जाए।
2 अप्रैल 1984 को राकेश शर्मा ने Soyuz T-11 में सवार होकर अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी. अंतरिक्ष में जाने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राकेश शर्मा से बातचीत भी की थी. पूर्व प्रधानमंत्री ने राकेश से कुछ सवाल पूछे, जिनमें एक सवाल आज भी देश के जहन में जिंदा है. इंदिरा गांधी ने राकेश शर्मा से पूछा कि ऊपर से भारत कैसा दिखता है. प्रधानमंत्री के इस सवाल पर राकेश शर्मा ने कहा, ‘सारे जहां से अच्छा.’
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3. आसमान में दिखाई देने वाले तारे सूर्य और पृथ्वी से कितने दूर होते हैं ?
आप जानते है की ब्रह्माण्ड इतना विशाल है की इसे नापना या इसके बारे में सोचना भी वयर्थ है।ब्रह्माण्ड में दूरियां इतनी अधिक हैं कि उन्हें उस समय में नापा जाता है जितने समय में प्रकाश वहाँ से पहुँचता है। प्रकाश की गति तीन लाख किलोमीटर प्रति सेकण्ड है।प्रकाश जितनी दूरी एक वर्ष में तय करता है उसे एक प्रकाश वर्ष यानि लाइट ईयर कहते हैं।यानि दूरी को किलोमीटर में नहीं समय में नापा जाता है।
सूर्य पृथ्वी के सबसे नज़दीक सितारा है और यहाँ से पंद्रह करोड़ किलोमीटर है और प्रकश वहां से पृथ्वी तक आठ मिनट और बीस सेकंड में पहुँच जाता है। उससे अगला सितारा यहाँ से चार प्रकाश वर्ष दूर है।
आप अंदाजा लगा सकते है की आठ मिनट = पंद्रह करोड़ किलोमीटर light पहुचती है।
ब्रह्माण्ड के छोर से प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में 46500 करोड़ वर्ष लग जाये हैं।
4. पैरेलल स्पेस की परिकल्पना को कैसे समझ सकते है। समानांतर ब्रह्माण्ड क्या है ?
समानांतर ब्रह्मांड का सिद्धांत हमें यह कहता है की ब्रह्मांड एक नहीं है, बल्कि अंतरिक्ष में बहुत सारे ब्रह्मांड है इस कारण हम ऐसी जगह पर रहते हैं जहां पर बहुत सारे ब्रह्मांड है।मेनी इंटरैक्टिव वर्ल्ड थ्योरी के अनुसार हमारा ब्रह्मांड बहुत सारे ब्रह्मांडो में से एक है जो कि एक साथ ही रहते हैं एक ही समय में, समानांतर ब्रह्मांड वह ब्रह्मांड है जो हमारे ब्रह्मांड के साथ ही इसी समय में रहता है पर वह दूसरा ब्रह्मांड हमारे ब्रह्मांड को नहीं देख सकता और ना ही हम उस दूसरे ब्रह्मांड को देख सकते हैं, क्योंकि दोनों अलग-अलग डायमेंशन में रहते हैं .जैसे कि आप इस ब्रम्हांड में इस समय मेरे इस उत्तर को पढ़ रहे हो इसके समानांतर एक ब्रह्मांड है जिसमें आप कुछ और काम कर रहे होंगे, किसी और ब्रह्मांड में शायद आप अपनी कार में घूम रहे होंगे, और किसी दूसरे ब्रह्मांड में आप चाय पी रहे होंगे।
Parallel Space कई नामो से जाना जाता है जैसे समानांतर आयामसमानान्तर ब्रह्माण्डवैकल्पिक ब्रह्मांड समानांतर दुनिया आप ने अवश्य ही समानांतर दुनिया के बारे में कोई Hollywood Science Friction Movie के माध्यम से जाना होगा जिसमे बताया जाता है की हमारी धरती जैसी एक और धरती मौजूद है लेकिन उसमे Opposite Action होते है .अब आप भी जानते है की ब्रह्माण्ड बहुत ही बड़ा है जिसके चलते हम नहीं कह सकते है की हमारी धरती जैसी ग्रह ही नहीं हो सकती है लेकिन हाँ जंहा तक Parallel World की बात है तो इस शब्द का श्रेय जाता है दर्शनशास्त्र को और इसको लोकप्रिय बनाने का श्रेय जाता है विज्ञानं फिक्शन कॉमिक्स, फिल्में और धरावाहिकों को।
आप को पता होगा की यूनिवर्स बहुत ही बड़ा और विशाल है इसमें हम केवल Obeservable Universe को ही समझ पाते है .चुकी इसी में से “मल्टीवर्स कई ब्रह्मांडों का एक काल्पनिक समूह है और साथ में यह ब्रह्मांड समूह सम्पूर्ण भौतिक अस्तित्व मतलब अंतरिक्ष, समय, पदार्थ, ऊर्जा, सूचना और भौतिक नियम और भौतिक स्थिरांक का निर्माण करते है। और यह सभी अलग-अलग ब्रह्मांड ही समानांतर ब्रह्मांड या वैकल्पिक ब्रह्मांड कहलाते है।
दुनियाभर में वैज्ञानिक नई तरह की खोज और शोध करते रहते हैं, जिनमें से कई चौंकाने वाले भी होते हैं। अब नासा के वैज्ञानिकों ने भी ऐसी ही बड़ी खोज की है। नासा (NASA) के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्हें पैरलल यूनिवर्स (समानांतर ब्रह्मांड) होने के सबूत मिले हैं। यहां भौतिकी के नियम भी बिल्कुल उल्टे हैं। इसका मतलब ये कि यहां समय आगे चलने के बजाय पीछे चलता है। बाकी कई जगह ऐसा भी कहते है वैज्ञानिक के इस दुनिया के एकदम उल्टी दुनिया भी है जहां physics के नियम एक दम उल्टे है जैसे यहां पानी नीचे को बहता है तो वहां उपर को।
मतलब सारे ब्रह्मांड एक ही समय में काम कर रहे हैं, समानांतर ब्रह्मांड में क्या-क्या हो सकता है यह आपके इमैजिनेशन से रिलेटेड है, मतलब कि आप जो जो सोच सकते हो उसके अलग-अलग ब्रह्मांड है, जैसे कि आप किसी एक ब्रह्मांड में सुपरस्टार हो और दूसरे ब्रह्मांड में एक गरीब इंसान, अब अगर सिद्धांतों की माने तो समानांतर ब्रह्मांड हमारे ब्रह्मांड से बहुत ही ज्यादा अलग है और समानांतर ब्रह्मांड मतलब आप यह मत समझिए कि बस एक ही ब्रह्मांड है मैंने यहां बहुत सारे ब्रह्मांड की बात की है और हमारा ब्रह्मांड भी इनमें से एक है।
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Multiverse |
आप सभी जानते हैं कि समय तीन भागों में बटा हुआ है भूतकाल,वर्तमान काल और भविष्य कालमान लो वैज्ञानिक भविष्य में कोई ऐसी मशीन बना लेते हैं जिससे समय यात्रा (time travel) किया जा सके तो हम वर्तमान से भूतकाल में जा सकेगे यानी पिछले समय में या भविष्य में जा सकेगे।लेकिन यहा पर एक समस्या उत्पन्न हो जाती है जिसे ग्रैंड फादर पैराडॉक्स कहते हैं।ग्रैंड फादर पैराडॉक्समान लेते हैं कि कोई व्यक्ति राजू टाइम मशीन के द्वारा समय यात्रा करता और वह अपने भूतकाल यानी पिछले समय में जाता है राजू उस समय जाता है जब उसका जन्म भी नहीं हुआ होता है और उसके दादाजी छोटे बच्चे होते हैं अपने दादाजी को देखता है और उनको मिलता है और वह अपनी जेब से पिस्तौल निकालकर अपने दादाजी को वहीं पर वह गोली से मार देता है और दादाजी वहीं पर मर जाते हैं लेकिन यहां पर सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि जब दादा जी छोटे थे यानी कि दादाजी की शादी भी नहीं हुई उनका कोई लड़का भी नहीं हुआ तो उसका बेटा (राजू) कहां से आया जिसने अपने दादाजी को मार दिया यहां पर थोड़ा कंफ्यूजन हो सकता है इसे एक बार और पढ़ें तो इसका मतलब तो यह हुआ कि पिछले समय में जाना नामुमकिन है ऐसा बिल्कुल भी नहीं है पिछले समय में जाया जा सकता है अब यहां पर अगर देखें राजू जिस दादा जी यानी उसके दादाजी को मारा था वह हकीकत में उसके दादाजी नहीं थे यानी कि वह एक दूसरी दुनिया के दादाजी थे यानी उनका हमारी पृथ्वी से कोई लेना-देना नहीं है वह कोई दूसरे ब्रह्मांड की दूसरी आकाशगंगा के दूसरे सौर्य मंडल की दूसरी पृथ्वी के दादाजी थे यानी वह मेरे दादाजी थे लेकिन वह मेरे हमशक्ल एक राजु के दादाजी थे जिसे मैंने मारा और जिसका कोई भी असर हम अपनी पृथ्वी पर यानी जहां पर राजु यानी कि हम यहां पर रहते हैं उसका कोई भी असर नहीं होगा यहां पर पहले की तरह ही चलता रहेगा और ना पर यहां पर राजु के दादाजी मरेंगे ना वह कभी खत्म होगा यानी कि इसका मतलब यह होता है कि हम भूतकाल में तो जा सकते हैं लेकिन वह अपनी एक पैरेलल स्पेस होगा यानी वह तो दूसरी दुनिया होगी तो इस तरह यह माना जाना जाता है की एक पैरेलल स्पेस होती है जहां पर सेम वही चीजें होती है जो हमारी इस स्पेस में हो रहा है बस वहां पर समय का अंतर है और इसी तरह भी भविष्य में भी हो सकता है।
5. धरती घूमती है तो हमें पता क्यों नहीं चलता?
यदि पृथ्वी घुमती है, तो हमें पता क्यों नहीं चलता ? पृथ्वी घूमती है इसका क्यों नहीं पता चलता इसके तीन चार कारण हैं जो आप गहराई से सोचेंगे तो समझ पाएंगे ।
प्रथम तो यह कि पृथ्वी बहुत ही बडी अंडाकार में है, इस पर रहने वालों को यही पता चलता है कि पृथ्वी चपटी है ।
दूसरे यह कि पृथ्वी अपनी धुरी पर एक निश्चित गति से घूम रही है इसमें कोई त्वरण या मंदन नहीं है इसलिए भी हमें इसके घूमते रहने का पता नहीं चलता ।
इसका घूमना बिल्कुल ही सामान्य (स्मूथ) है इसके घूमने में कोई झटका कोई रुकावट नहीं लगता इसलिए भी इसके घूमते रहने का पता नहीं चलता ।
सबसे बड़ा कारन यह है कि गुरुत्वाकर्षण के कारण हम तथा दूसरी वस्तुएं, यहाँ तक कि हवा भी पृथ्वी के साथ ही घुमती रहती है
आप मान सकते है की आप किसी ट्रेन से सफर कर रहे हैं और खिड़की के बाहर आपने एक बहुत ही ऊंचा सा टावर देखा आप उस पर निगाहें गड़ा लीजिए । टावर आपसे पीछे छूटता चला जाएगा । कल्पना कीजिए यह टावर भी आप के साथ उसी स्पीड से चलने लगा है। अब आप सिर्फ टावर को देखकर कि आपकी ट्रेन चल रही है कि नहीं, जी आप नहीं बता सकते । ऐसा लगेगा जैसे स्थिर है (अगर ट्रेन के झटके ना लगें तो) ।
ठीक इसी प्रकार यह पृथ्वी घूम रही है आप इसको कैसे पता कर सकते हैं ऐसा कोई स्थिर बंदु, वस्तु या टावर होनी चाहिए जो पृथ्वी से ना लगा हो, स्पेस में हो । हां ऐसी चीज है और वह है ब्रह्मांड और तारे । जिससे अपनी पृथ्वी का आकलन करना मुश्किल काम है । अब बचे चांद और सूरज । मगर हम तो इन्हें कहते हैं “सूरज उग रहा है” “सूरज डूब रहा है” “चांद निकल आया है” ! चांद भले ही घूम रहा है मगर सूरज तो स्थिर है । अतः जिस दिन हम यह कहने लगे कि पृथ्वी इतनी घूम गई है कि सूरज दिखने वाला है या पृथ्वी इतनी घूम चुकी है कि अब सूरज डूबने वाला है तब उस दिन हमें लगने लगेगा कि पृथ्वी घूम रही है ।
धरती के घूमने का पता, धरती से अलग होने पर ही चलेगा। पृथ्वी घूमती है, यदि कभी मौका मिले तो अंतरिक्ष यान में जाकर पृथ्वी को देखना, तब आपको उसके घूमने का पता चल जाएगा।
पृथ्वी के अपनी धुरी पर घुमने के कारण रात और दिन होते हैं .पृथ्वी अपनी धुरी पर लम्बवत (vertical) से 23.5 डिग्री पर झुकी हुई है . इससे प्रत्येक धुव्र छ: महीने तक सूर्य के सामने रहता है और छ: महीने तक सूर्य से दूर . इसलिए धुवों पर छ: महीने का दिन और छ: महीने की रात होती है।
ठीक इसी तरह के एक और प्रश्न है और वो यह है की “””अंतरिक्ष में जब पृथ्वी घूमती है तो पृथ्वी का पानी अंतरिक्ष में क्यों नहीं गिरता है?”””
6. अंतरिक्ष में जब पृथ्वी घूमती है तो पृथ्वी का पानी अंतरिक्ष में क्यों नहीं गिरता है?
7. चाँद धरती पर क्यों नही गिर जाता? या धरती सुर्य पर क्यु नहीं गिरती है ?
अगर ऐसा हो गया होता तो आज हम इस सवाल को नहीं पूछ या जान सकते थे लेकिन हमे तो जानना है तो दोस्तों दरअसल सुर्यमण्डल के केन्द्रबिन्दु सुर्य स्वयं ही है और उसके गुरूत्याकर्षन शक्ति, ग्रह, उपग्रह के वजन (मास) एवं उनके गुरूत्याकर्षन और वजन व सठिक दुरत्व के अनुपात के बराबर तालमेल से पूरा सौरमण्डल को यथासम्भव सुरक्षित व सामंजस्य रखते हैं ताकि एक दुसरे के जुरिसडिकसन को न बिगड़े परन्तु नियमानुसार अपना जगह पर रहते हुए अपना अपना काम करते रहे।
चाँद दरअसल धरती पर गिर ही रहा है। पर उसकी गति इतनी है जब तक चाँद नीचे आये तब तक इतना आगे भी जा चुका होता है कि धरती की गोलाई के कारण उतनी ही ऊंचाई पर बना रहता है।
इसे समझना थोड़ा कठिन है तो इसलिए आपको एक उदाहरण देता हूँ।
मान लीजिए कि आप एक बहुत ऊंची इमारत पर हैं। अब अगर आप छत पर से एक वस्तु नीचे गिराएं तो क्या होगा? वस्तु नीचे गिर जाएगी न?
अब अगर इसी वस्तु तो आप दम लगा कर आगे की तरफ फेंकें तो क्या होगा? वस्तु थोड़ा आगे जाएगी और फिर धीरे धीरे नीचे की ओर झुकेगी।
बस अब यही गति अगर बहुत ज़्यादा हो तो वह वस्तु धरती का चक्कर मार कर वापस जहां से आपने उसे फेंक था वहां आ जायेगी। ऐसा मैं नही न्यूटन का कैननबॉल एक्सपेरिमेंट कहता है।
बस यही चाँद और बाकी हर उपग्रह के साथ होता है। वे गिरते तो हैं पर सतह पर पहुंचते नहीं।
आपका धन्यवाद इस तरह के प्रश्न करने के लिए वैसे स्पेस के बारे में जानना आपको कैसा लगता है Pls Comment में बताये। अब चलिए आगे बढ़ते है और देखते है 8 प्रश्न।
8. क्या इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में अंतरिक्ष यात्री टीवी देखते हैं?
देखिये वैसे ये सम्भव तो है परंतु किस तकनीक का इस्तेमाल होगा ये अलग विषय है।अब 2014 में फीफा विश्व कप से फुटबॉल खेल का लाइव प्रसारण देखने वाले ISS में सवार तीन अंतरिक्ष यात्रियों की एक तस्वीर आप निचे देख सकते है इसमें आप पाएंगे की वो Internet के माध्यम से कोई Computer पर Live Stream देख रहे है।
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चुकी, दोस्तों पारंपरिक तकनीक से टीवी देखना संभव नहीं है।
9. अगर सूर्य अंतरिक्ष में है और उसकी ही वजह से पृथ्वी पर उजाला रहता है तो फिर अंतरिक्ष में अंधेरा क्यों रहता है?
चुकी ब्रह्माण्ड में वातावरण नही होनै से वहां प्रकाश फैलता नहीं और पृथ्वी के पास गुरुत्वाकर्षण है जिससे रौशनी परिवर्तित होती है ।
वैसे भी अन्तरिक्ष में अँधेरा नही है ज्यादातर अन्तरिक्ष का भाग खाली है वहां कुछ भी नही है और किसी भी चीज को को देखने के लिए सूर्य के प्रकाश को उस वस्तु से टकरा कर हमारे आँखों तक आना होगा ताकि हम उस वस्तु को देख सके |
और वैसे भी अंतरिक्ष में भी रोशनी है परंतु क्योंकि अंतरिक्ष में कोई भी ऐसा पदार्थ या मध्यम नहीं है जिससे कि हम प्रकाश को देख पाए अगर आप अंतरिक्ष में जाएं और अपना हाथ बाहर निकाले तो आप पाएंगे कि आपका हाथ जल जाएगा। क्योंकि पृथ्वी पर वायुमंडल है और अंतरिक्ष में नहीं । पर इसका मतलब यह नहीं कि अंतरिक्ष में प्रकाश नहीं है प्रकाश है परंतु दिखता नहीं है।
In Simple स्पेस का वैक्यूम ( मैटेरियल पार्टिकल ) इसका सबसे बड़ा कारण है।यानी ज्यादातर हिस्सा खाली है जिस कारन से Light Reflect नहीं होते और वातावरण भी तो नहीं है स्पेस में। थ्वी पर प्रकाश का बिखराव होता है सूर्य से विभिन्न तरह की तरंगे पृथ्वी पर आती है और पृथ्वी पर मौजूद पर्यावरण में धूल के कणों से टकराकर उनका बिखराव होता है हमें आकाश नीला इसलिए ही दिखाई देता है क्योंकि सूर्य से आने वाली बैंगनी रंग की किरण की तरंग धैर्य सबसे कम होती है और इस कारण वह वातावरण में मौजूद धूल के कणों से टकराकर फैल जाती है और हमें आकाश नीला दिखाई देता है.जबकि अंतरिक्ष में यह प्रक्रिया नहीं हो पाती क्योंकि वहां किसी भी पिंड का स्वयं का वातावरण नहीं होता पृथ्वी पर रात्रि में आकाश काला ही दिखाई देता है क्योंकि उस समय प्रकाश प्रकरण की क्रिया नहीं हो पाती है
10. पृथ्वी पर सबसे ज्यादा पाई जाने वाली गैस कौनसी है?
आप जानते होंगे की वायुंडल में 78% नाइट्रोजन गैस, ऑक्सीजन 20 प्रतिशत वैसे इस वायुमंडल में विभिन्न गैसों का मिश्रण, जल वाष्प और एयरोसोल पाए जाते हैं। इन गैसों में सबसे ज्यादा मात्रा में नाइट्रोजन का अनुपात पाया जाता है जो कि 78.08 प्रतिशत है। उसके बाद ऑक्सीजन पाई जाती है। जिसकी मात्रा 20.95 प्रतिशत है। इसके बाद आर्गन 0.93 प्रतिशत फिर कार्बन डाई ऑक्साइड है। जिसका अनुपात 0.03 प्रतिशत होता है।
नाइट्रोजन गैस अमीनो एसिड का प्रमुख स्त्रोत है।अमीनो एसिड आगे चलकर प्रोटीन के रूप मे विकसित हो जाता है। साथ ही यह आग को नियंत्रित करने का कार्य भी करता है। ऑक्सीजन गैस भोजन बनाने का स्त्रोत और जीवनदायी गैस के रूप में है। कार्बनडाईऑक्साइड ग्रीन हाउस गैस है। यह पेड़ पौधों को भोजन बनाने और ऑक्सीजन की आपूर्ति का सबसे बड़ा स्त्रोत है। ) (नाइट्रोजन – पृथ्वी के वायुमंडल में 78% भाग नाइट्रोजन का है। यह एक अक्रिय गैस है।
नाइट्रोजन रंगहीन, गंधहीन और स्वादहीन गैस है।
अब कुछ Important uses of Nitrogen Gas-
- वनस्पति एवं जैव पदार्थों का नाइट्रोजन खाद के रूप में मनुष्यों तथा पशुओं के काम आता है।
- हवाई जहाज के टायर में नाइट्रोजन गैस भरा जाता है।और उवर्रक बनाने में व
- दलहनी फसलों की जड़ों में पाये जाने वाले राइजोबिअम नामक जीवाणु वायु नाइट्रोजन का मृदा में स्थिरीकरण करते है जिसे मृदा नाइट्रोजनीकरण कहते है।
Conclusion
आप ने जाना की अंतरिक्ष यात्रा के दौरान एस्ट्रोनॉट्स टॉयलेट कैसे करते हैं?इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में अंतरिक्ष यात्री टीवी देखते हैं?पृथ्वी पर सबसे ज्यादा पाई जाने वाली गैस कौनसी है?चाँद धरती पर क्यों नही गिरता है?अंतरिक्ष से पृथ्वी पर बनी कौन-कौन सी मानव-निर्मित चीजें दिखाई देती है?पैरेलल स्पेस की परिकल्पना क्या है Parallel universe क्या है ?भारत के कौन प्रथम अंतरिक्ष यात्री थे?आसमान में दिखाई देने वाले तारे सूर्य और पृथ्वी से कितने दूर होते हैं ?और,धरती घूमती है तो हमें पता क्यों नहीं चलता?इत्यादि। तो आप अब भली-भांति इस सभी प्रश्नों के उतर भी जान चुके है।
अगर फिर भी आपके मन में कोई भी सवाल है तो आप कमेंट में अपना Question पूछ सकते है।
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